सुबह से है एक हलचल सी मन में
क्यों है दील इतना उदास सा
लगता है क्यों बार बार जैसे
हो कोई अपना कहीं छूट गया
आंखें तो है नम उसकी
ओर दील भी है कुछ भरा सा
मौसम है बन गया साथी उसका
साथ नीभाता बरस रहा
baarish main by wandering soul
Wednesday, March 19, 2008
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3 comments:
कैसी है यह हलचल और क्यों है यह मन उदास!!
जब कुछ खोया नहीं है और है हमेशा तुम्हारे पास !!
प्यार मैं डर टू जायज़ है !!!
इसी से तो होता है हर धड़कन का एहसास!!!
मौसम भी क़यामंत दाता है
दो दिल तड़पते हों जब मिलने को
एक पे धुप , दूजे पे पानी बरसाता है
अब्ब क्यों ना हो यह उदासी जब ऐसे मौसम मैं दूर बैठा हो साथी !!!
कवी पालम्पुरी!!!
bahut khoob :)
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