Thursday, November 15, 2007

यह करें और वोह करें , ऐसा करें वैसा करें

यह करें और वोह करें , ऐसा करें वैसा करें
जिन्दगी दो दिन की है, दो दिन हम क्या क्या करें
यह करें और वह करें, ऐसा करें वैसा करें

जीं में आता है कि दें
पर्दे से पर्दे का ज़वाब
हम से वोह पर्दा करें, हम से वोह पर्दा करें
दुनिया से हम पर्दा करें

यह करें ओर वह करें, ऐसा करें वैसा करें.........

सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे गए हैं शहर में
सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे गए हैं शहर में
आप जल्दी बंद अपने,अआप जल्दी बंद अपने
घर का दरवाज़ा करें .

यह करें और वोह करें , ऐसा करें वैसा करें.......

इस पुरानी बेवफ़ा दुनिया का रोना कब तलक
आएये मिल झुल के दुनिया एक नयी पैदा करें

यह करें और वोह करें .....

Remember listening to this ghazal by jagjit singh and chitra as a kid .. it used to be there in my dad's collection and i guess i liked it so much then that even today when i listen to it ,.. it makes me smile .. then i liked it for some reason that i don't remember now ..

Now i like it for other reasons and also understand it better :)

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